जन्म कुंडली में पंचम भाव के फल बहुत ही महत्वपूर्ण और चमत्कारी है | यह जातक की बुद्धिमता तथा उसके विवेक को बताता है यही वह भाव भी है जो ईश्वर और मंत्र से प्रथम बार जोड़ता है | पंचम भाव आपकी वाणी की गंभीरता, आपके धन का सदुपयोग, आपकी विद्या का सार हैं | पंचम भाव आपका कौशल है | अष्टम भाव यदि गुप्त रहस्यों या विज्ञानं या चमत्कार है तो पंचम भाव उसका जनक | इनके अतिरिक्त पंचम भाव से संतान भी देखि जाती है | पचम स्थान में यदि कोई ग्रह वक्र अवस्था का हो तो संतान का गर्भ में नस्ट हो जाना आम बात होती है, ज्ञान अलग अलग क्षेत्रो से या गुरुओं से प्राप्त होता हैं,बड़े भाइयों को स्वांस से सम्बंधित समस्या देता है | और पिता को मृत्यु तुल्य कष्ट एक दो बार देता है | नौकरी बार बार परिवर्तित करवाता है या ऐसा इन्शान नौकरी आत्मसम्मान के लिए परिवर्तन करता है |
पंचम स्थान में सूर्य हो तो जातक की अल्प संतान होती है या एक संतान नष्ट भी होती है पिता का सुख कम समाज में मान्य तर्क की कसौटी तक हर विषय को पहुचाना ऐसे सूर्य की विशिष्ट्ता होती है | चन्द्र पंचम में हो तो माता का सुख प्राप्त होवें सुखी होता हैं | कृष्ण पक्ष का चन्द्र(क्षीण) हो तो कन्या और शुक्ल पक्ष का चन्द्र हो तो पुत्र देता है | पंचम मंगल में हो दीर्घायुं जन्म के समय माता को कष्ट भाइयों से भूमि विवाद होता है,छोटी संतान कष्ट देती है | बुध हो तो बौद्धिक क्षमताओ से युक्त नक़ल करने में प्रवीण प्यार में धोखा खाने वाला और मामा को कष्ट देता है | पंचम गुरु ज्ञान और मान सम्मान दिलवाता है भाइयों को समृद्ध करता है पेट में विकार देता हैं मोटापा देता है(यदि मंगल या शनि लगन को देखे तो शरीर निरोग और आकर्षक होता है ) | शुक्र प्रेमी काव्यकार या लेखक बनाता है | चिंतन करने वाला कलाओं (क्रिएटिव ) से युक्त होता है | कन्या वा पुत्र दोनों का सुख देता है | शनि देर से निर्णय लेने वाला पेट में या किडनी में पथरी शादी और संतान दोनों में ही विलम्ब करता है | राहु विकार उत्पन्न करता है पेट में गैश भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान न रखने वाला | संतान को कष्ट श्राप या ऊपरी बाधाओ के द्वारा होता है | केतु बचपन में चोट या दुर्घटना देता है, पेट से सम्भन्धित आपरेशन करवाता है |
पंचम स्थान में सूर्य हो तो जातक की अल्प संतान होती है या एक संतान नष्ट भी होती है पिता का सुख कम समाज में मान्य तर्क की कसौटी तक हर विषय को पहुचाना ऐसे सूर्य की विशिष्ट्ता होती है | चन्द्र पंचम में हो तो माता का सुख प्राप्त होवें सुखी होता हैं | कृष्ण पक्ष का चन्द्र(क्षीण) हो तो कन्या और शुक्ल पक्ष का चन्द्र हो तो पुत्र देता है | पंचम मंगल में हो दीर्घायुं जन्म के समय माता को कष्ट भाइयों से भूमि विवाद होता है,छोटी संतान कष्ट देती है | बुध हो तो बौद्धिक क्षमताओ से युक्त नक़ल करने में प्रवीण प्यार में धोखा खाने वाला और मामा को कष्ट देता है | पंचम गुरु ज्ञान और मान सम्मान दिलवाता है भाइयों को समृद्ध करता है पेट में विकार देता हैं मोटापा देता है(यदि मंगल या शनि लगन को देखे तो शरीर निरोग और आकर्षक होता है ) | शुक्र प्रेमी काव्यकार या लेखक बनाता है | चिंतन करने वाला कलाओं (क्रिएटिव ) से युक्त होता है | कन्या वा पुत्र दोनों का सुख देता है | शनि देर से निर्णय लेने वाला पेट में या किडनी में पथरी शादी और संतान दोनों में ही विलम्ब करता है | राहु विकार उत्पन्न करता है पेट में गैश भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान न रखने वाला | संतान को कष्ट श्राप या ऊपरी बाधाओ के द्वारा होता है | केतु बचपन में चोट या दुर्घटना देता है, पेट से सम्भन्धित आपरेशन करवाता है |
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